साबुन से तो आप सभी परिचित ही हैं. जिसका उपयोग प्रतिदिन हम नहाने, कपड़े धोने इत्यादि के लिए करते हैं. दुकानों में हर किस्म का साबुन मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि साबुन का आविष्कार कब और कैसे हुआ? तो आइए हम आपको इसकी रोचक कहानी बताते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि लगभग 3000 वर्ष पहले रोम के निवासी अपने इष्ट देवता को प्रसन्न करने के लिए (जो सैपोहिग नामक पहाड़ी पर स्थित है) के सामने जानवरों की बली चढ़ाते थे. विचित्र बात तो यह थी कि वहां पहले से ही एक अग्निकुंड जलता रहता था. यह लोग जानवरों को मारने के बाद उनके खून को अग्निकुंड की राख के साथ मिलाकर देवता को अर्पित करते थे. बाद में यह मिश्रण (खून और राख) बहकर टाइगर नदी के तट पर जमा हो जाता था. उस तट पर प्रतिदिन धोबी कपड़े धोने के लिए आते थे. एक दिन एक धोबी ने सोचा क्यों न इस मिश्रण से कपड़े धो कर देखें. फिर क्या देखा कि कपड़े एकदम साफ और चमकदार हो गए हैं. इसके बाद तो सभी धोबी उस मिश्रण से ही कपड़े धोने लगे देखते ही देखते यह बात चारों तरफ फैल गई. कहते हैं कि इसी के चलते मिट्टी से साबुन का अविष्कार हुआ और आज विश्व में व्यापक तौर पर अनेक रंगों में साबुन देखने को मिलते हैं जो काफी खुशबूदार भी है.
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