दोस्तों ! स्वागत करते हैं आपका एक बार फिर से Stayreading.com पर। आज हम आपके लिए एक ऐसी motivated व life changing book “जीत आपकी” से कुछ ऐसे part के बारे में बताने वाले हैं, जो वाकई में आपके लिए Inspirational रहेगा। वैसे हम आपको बता दें कि इस किताब के लेखक “शिव खेड़ा” हैं। इस Book के माध्यम से हम आपको विजेता और पराजित में अंतर बताएंगे जो आपके जीवन के हर मोड़ पर सहारा बनकर खड़ा रहेगा।
जैसा कि आप जानते हैं कि हार और जीत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। आज का विजेता बीते हुए कल या आने वाले कल का पराजित व्यक्ति है एवं आज का पराजित व्यक्ति आने वाले वर्ष का विजेता हो सकता है। इन सभी बातों को अच्छे से जानते हुए भी हम फिर भी हर जगह जीत को ही ढूंढते रहते हैं और इसी जीत के चक्कर में हम हार के भय में जीने लगते हैं। तो आइए दोस्तों ! हम आपको बताते हैं एक विजेता और पराजित में अंतर।
विजेता और पराजित में अंतर :
- विजेता हमेशा एक समाधान का हिस्सा होता है।
पराजित हमेशा समस्या का हिस्सा होता है।
- विजेता के पास हमेशा कुछ करने का एक प्रोग्राम रहता है।
पराजित के पास कुछ न करने का ‘बहाना’ !
- विजेता कहता है, “मैं आपके लिए कर देता हूँ। ”
पराजित का कहना है कि “यह मेरा काम नहीं है।”
- विजेता के पास समाधान है हर समस्या के लिए।
पराजित के पास समस्या है हर समाधान के लिए।
- विजेता कहता है , “यह काम मुश्किल जरूर है , लेकिन मुमकिन है। “
पराजित का मानना है, “यह काम मुमकिन हो सकता है, लेकिन बेहद मुश्किल है।
- गलती करने पर विजेता कहता है, “मैं गलत था। “
पराजित गलती करने पर कहता है, “इसमें मेरी गलती नहीं थी। “
- विजेता Commitment करता है।
पराजित केवल वायदा करता है।
- विजेता के पास कामयाबी के सपने होते हैं।
पराजित के पास सिर्फ Schemes होती हैं।
- विजेता कहता है, “मुझे कुछ करना चाहिए। “
पराजित कहता है, :कुछ होना चाहिए। “
- विजेता टीम का हिस्सा होता है।
पराजित टीम के हिस्से करता है।
- विजेता उपलब्धियों को देखता है।
पराजित तकलीफों को देखता है।
- विजेता देखता है कि क्या संभव है।
पराजित देखता है कि क्या असंभव है।
- विजेता हर किसी की जीत में विश्वास रखता है।
पराजित विश्वास रखता है कि उसे जीतने के लिए किसी को हारना होगा।
- विजेता आने वाले कल को देखता है।
पराजित बीते हुए कल को देखता है।
- विजेता Thermostat जैसा होता है।
पराजित Thermometer जैसा होता है।
- विजेता सोचकर बोलता है।
पराजित बोलकर सोचता है।
- विजेता नम्रता के साथ अपनी ठोस दलीलें (arguements) पेश करता है।
पराजित कड़े शब्दों में कमजोर दलीलें (arguements) पेश करता है।
- विजेता अपने उसूलों पर टिका रहता है और छोटी-मोती बातों पर समझौता कर लेता है।
पराजित छोटी-मोटी बातों पर अड़ा रहता है और अपने उसूलों पर समझौता कर लेता है।
- विजेता समानुभूति (empathy) के इस विचार (philosophy) में विश्वास करता है कि दूसरों के साथ वैसा व्यवहार मत करो जो तुम चाहते हो कि दूसरे तुमसे न करें।
पराजित इस विचार में विश्वास करता है कि दूसरे के कुछ करने से पहले आप ही उसे कुछ कर दो।
- विजेता करके दिखाता है।
पराजित कुछ करने का इंतज़ार करता है।
- विजेता प्लान बनाकर जीत की तैयारी करता है। इसमें सबसे अहम लफ्ज़ है : तैयारी (Preparation) ।
विजेता बनें : आवश्यक क़दम
Rule 1 : एक अच्छा खोजी बनें। (Be A GOOD FINDER)
Rule 2 : हर काम को तुरंत करने की आदत डालें। (MAKE A HABIT OF DOING IT NOW)
Rule 3 : एहसानमंद होने का नजरिया बनाएं। (DEVELOP AN ATTITUDE OF GRATITUDE)
Rule 4 : लगातार सीखते रहने की आदत डालें। (GET INTO A CONTINOUS EDUCATION PROGRAMME)
Rule 5 : अच्छे स्वाभिमान का निर्माण । (BUILD A POSITIVE SELF-ESTEEM)
Rule 6 : बुरे असर से दूर रहें । (STAY AWAY FROM NEGATIVE INFLUENCES)
Rule 7 : जो काम जरुरी है उन्हें पसंद करना सीखें । (LEARN TO LIKE THE THINGS THAT NEED TO BE DONE )
Rule 8 : अच्छे ढंग से दिन की शुरुआत करें। (START YOUR DAY WITH A POSITIVE)
MUST READ :
1. चार मोमबत्तियों की कहानी (Motivational Story) !
2. Dr. Ujjwal Patni की इन tips से दीजिये अपने Business को Growth !
3. अपनी असफलता से कैसे सफल हुए यह सभी महापुरुष !
4. “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” :Inspirational Poem !
5. Shiv Khera (शिव खेरा) Quotes in Hindi & English
आपको हमारी यह Post कैसी लगी. नीचे दिए गए Comment Box में जरूर लिखें. यदि आपको हमारी ये Post पसंद आए तो Please अपने Friends के साथ Share जरूर करें. और हाँ अगर आपने अब तक Free e -Mail Subscription activate नहीं किया है तो नयी पोस्ट ईमेल में प्राप्त करने के लिए Sign Up जरूर करें.
Happy Reading !
1 Comment