विश्वविख्यात कवि Rabindranath Tagore जी को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। यह एकमात्र कवि थे जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्र-गान “जन गण मन” और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान “आमार सोनार बाँग्ला” गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। आज हम रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की “चल तू अकेला” प्रस्तुत करने जा रहे हैं ,जो आपके लिए काफी प्रेरणादायक रहेगी –
चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…
– रवीन्द्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Tagore)
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