हमने अपने प्रयासों से आपके लिए यह कहानी “अंतिम प्रतियोगिता” प्रस्तुत की है, जो आपके अंदर, अच्छे-बुरे के द्वन्द को तो ख़त्म करेगी ही साथ ही आपको आपके जीवन के प्रति निष्ठवान और दुसरो के प्रति दयालु तथा प्रत्येक स्तिथि से किस प्रकार निकला जाए, उसमे भी आपकी सहायता करेगी। हमारी प्रत्येक कहानी का यही उद्देश्य है कि वे आपके अंदर के अच्छे व्यक्ति को बाहर लाये तथा इससे पढ़कर आपको संतुष्टि मिले और ऐसे विचार आये जो आपके कार्य या जीवन के लिए कारगर सिद्ध हो।
प्राचीन समय (Ancient Time) की बात है एक गाँव था ! उस गाँव का नाम रामनगर था ! उसी गाँव में प्रतिवर्ष (Every year) एक दौड़ आयोजन (Organized) होता जिसमे गांव के बच्चे उत्सुकतापूर्वक (Excitement) उस प्रतियोगिता (Competition) में हिस्सा (Participate) लेते और उस प्रतियोगिता को “अंतिम प्रतियोगिता” (THE LAST COMPETITION) के नाम से जाना जाता था क्योंकि वह वर्ष के अंतिम दिनों (Last days of year) में होता था और वह वर्ष की भव्य प्रतियोगिताओ (Gorgeous Competition) में से एक था !
वर्ष के अंतिम दिनों में, दौड़ प्रतियोगिता प्रारम्भ होने वाली थी जो कि गांव से 3 किलोमीटर दूर एक जंगल (Forest) में जाके ख़त्म होती थी, जिसे एक निश्चित समय (Fixed time) में पूरा करना होता था ! वह प्रतियोगिता शुरू हो गयी और सभी बच्चो ने दौड़ (Run) शुरू की और सभी बच्चो निश्चित समय के अन्तर्गत अपने लक्ष्य (Aim) तक पहुँच गए परन्तु एक बच्चा था जो अपने लक्ष्य तक नहीं पंहुचा था !
जो बच्चे निर्धारित समय में अपने लक्ष्य तक पहुच गए उनको उस गाँव के मुखिया (Head) ने पूछा कि तुम सब अपने समय सीमा के अंदर दौड़ को कैसे पूरा कर लिया !
सभी बच्चो ने कहा कि “हम सभी ने बड़ी मेहनत (Hard work) और दिल लगाकर इस दौड़ में जितने का प्रयास (Effort) किया और हम सभी ने इस दौड़ प्रतियोगिता को एक निश्चित समय में पूरा (Complete) कर लिया” !
आखिर में , वह बच्चा भी अपने लक्ष्य तक पंहुचा लेकिन दुर्भाग्यवश (Unfortunately) उसका निर्धारित समय समाप्त (Finish) हो चूका था ! इस बात से गांव के मुखिया ने उस बच्चे से पूछा कि :-
“तुमको यह दौड़ को पूरा करने में इतना समय क्यों लग गया”?
उस बच्चे ने कहा कि मैं देर से इसलिए पंहुचा क्योंकि जब मैं दौड़ रहा था तो मुझे रास्ते में कंकड़ -पत्थर (Pebble-Stone) चुभ रहे थे ! मैने सोचा कि जब ये मुझे चुभ रहे हैं तो तो जो मेरे साथी मुझसे पीछे दौड़ रहे हैं उन्हें भी चुभ सकते हैं ! ये बात सोचकर मैंने वो कंकर – पत्थर (Pebble-Stone) बीनकर (Selction) अपनी जेब में रखना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से इस प्रतियोगिता मैं पीछे रह गयाl
उस मुखिया ने जब उस बच्चे की बात सुनी तो वह बहुत खुश (Happy) हुए उनका दिल भावुक (Sensitive) हो गया क्योंकि वह विद्यार्थी प्रतियोगिता में विजेता (Winner) बनने की ना सोचकर दूसरे बच्चो को कंकड़ -पत्थर न चुभे इसलिए उसका समाधान (Solution) कर रहा था और मुखिया ने उसी बच्चे को ही विजेता घोषित (Declare) कर दिया और उससे मुखिया ने कहा कि “वह कंकड़ -पत्थर कहाँ है जो तुमने बीने थे”?
उस बच्चे ने मुखिया के सामने उस कंकड़ पत्थर को प्रस्तुत किया तो वह मुखिया उन कंकड़ -पत्थर को देखकर हैरान हो गए क्योंकि जो कंकड़-पत्थर समझ कर वह बालक बीन लाया था ,वे वास्तव में अनमोल हीरे (Worthful Diamonds) व कीमती मोती (Costly Pearl) थे !
MORAL :- ”जब हम दुसरो का भला (Benefit) करने के लिए सोचते हैं ,तो वह व्यक्ति भी आपका भला करने के लिए कुछ भी कर सकता है इसलिए कभी भी कुछ अच्छा करते समय यदि हमारा कुछ नुकसान (Loss) हो भी जाये , तो उसकी चिंता (Tension) नहीं करनी चाहिए l उस नुकसान की भरपाई (Aqquitance) कहीं ना कहीं से हो ही जायगी लेकिन किसी के लिए कुछ अच्छा करने का जो अनुभव (Experience) प्राप्त होता है ,वह अनुभव किसी और तरह से प्राप्त नहीं हो सकता!!!
आपको हमारी यह Post कैसी लगी. नीचे दिए गए Comment Box में जरूर लिखें. यदि आपको हमारी ये Post पसंद आए तो Please अपने Friends के साथ Share जरूर करें. और हाँ अगर आपने अब तक Free e -Mail Subscription activate नहीं किया है तो नयी पोस्ट ईमेल में प्राप्त करने के लिए Sign Up जरूर करें.
Happy Reading !
Leave a Reply